प्रतापगढ़ किसको किसको बतायें और क्यों बतायें सुबह से ही पत्रकारों के फोन आ रहे है ।

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प्रतापगढ़ किसको किसको बतायें और क्यों बतायें सुबह से ही पत्रकारों के फोन आ रहे हैँ.

 

ये किसी फिल्म का डायलाग नही कुण्डा थाने मे तैनात एक उपनिरीक्षक राज कुमार यादव के बोल बचन हैँ।

योगी सरकार चाहे जितना दम लगाए लेकिन जब तक जिम्मेदार नही सुधरेंगे । जब तक जीरो टोलरेन्स सिर्फ जुबानी बाते बनकर रह जाएगी।

कुण्डा  मे एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ और अभद्रता की घटना घटित हुई , पीड़िता ने इसकी तहरीर देकर न्याय की गुहार लगायी लेकिन आरोप है कि कुछ ले देकर मामला निपटाने मे लग गया जाँच अधिकारी।

मामले मे हद तो तब हो गयी जब आशिक मिजाज लड़को ने उसकी बड़ी बहन को बुलाने की मांग कर डाली।और जब विरोध हुआ तो आशिकों की गैंग ने लड़की के पिता और चाचा की पिटाई कर दिया ।

बात यहीं ख़तम नही हुयी अब उस पर दबाव बनाने की कोशिस की जा रही है इधर जाँच करने वाला दरोगा भी आरोपिओं को बचाने की कवायद मे लग गया और इस तरह के फिल्मी डायलाग बोल रहा है।

सवाल ये है की जिस कुण्डा मे स्थानीय विधायक राजा भैया 101 असहाय बेटियों की शादी कर रहे है उसी कस्बे मे एक नाबालिक बिटिया को न्याय मिलना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है।

थाना प्रभारी ने इस निर्देश के साथ जाँच सौपी थी की समग्र जाँच करके रिपोर्ट बनाइये लेकिन हलका दरोगा अपने अधिकारी को ही कर रहा दिग्भ्रमित।

पीड़ित कल पुलिस कप्तान के आगे अपना दुखड़ा सुनाएगी लेकिन सवाल ये है की कितना निरंकुश है उक्त दरोगा की कार्य प्रणाली की कुंडा के एक वरिष्ठ पत्रकार से जिस लहजे मे बात किया वो कतई विधि सम्मत नही कहा जा सकता है।

 

एडीजी ला एंड ऑर्डर तक भेजी जा रही उक्त दरोगा की वॉइस रिकार्डिंग की शासन के दिशा निर्देश का किस तरह उड़ाया जा रहा मजाक।

किस तरह से एक उप निरीक्षक सूचना साझा करने की जगह दिख रही वर्दी की हनक।

 

 

ब्यूरो रिपोर्ट स्टार प्लस समाचार

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