आत्महत्या कोई समाधान नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक समस्या
लोग उतार लेंगे नीचे हमें मोहब्बत लटकी रह जायेंगी पंखे से ..?
आत्महत्या कोई समाधान नहीं, बल्कि एक गंभीर
सामाजिक समस्या
रविवार शाम जनपद के मंसूरपुर थाना क्षेत्र में एक प्रेमी युगल द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई और मौके पर भारी संख्या में लोग एकत्र हुए। मौके पर लोगों ने युवक युवती को फंदे से लटकता हुआ देख पुलिस को सूचित किया। मौके पर पहुंची मंसूरपुर थाना पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। प्राथमिक जांच में पता चला है कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और परिवार की नाराज़गी या किसी अन्य सामाजिक दबाव के कारण उन्होंने यह कदम उठाया हो सकता है। हालांकि, पुलिस हर पहलू से मामले की जांच कर रही है। इस दर्दनाक घटना से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि युवक और युवती एक-दूसरे को लंबे समय से जानते थे, लेकिन परिवार की रजामंदी न होने के चलते वे तनाव में थे। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि यदि कोई मानसिक तनाव में है तो वह आत्महत्या जैसा कदम न उठाए, बल्कि परिवार और दोस्तों से बात करे। इस प्रकार की घटना झकझोर देने वाली होती है।आत्महत्या के कारण और हमारी ज़िम्मेदारी अक्सर लोग मानसिक तनाव, पारिवारिक दबाव, सामाजिक बाधाओं, प्रेम संबंधों में असफलता, आर्थिक संकट या अन्य कारणों से आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठा लेते हैं। लेकिन क्या यह सही है? समाज के रूप में हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम लोगों को भावनात्मक रूप से समर्थन दें, उनके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लें और एक ऐसा माहौल बनाएँ जहाँ हर कोई खुलकर अपनी समस्याएँ साझा कर सके।
क्या करना चाहिए?
संवाद करें – अगर आप किसी को उदास या परेशान देखें, तो उससे बात करें।
समर्थन दें – किसी के जीवन में आने वाली कठिनाइयों को हल करने में मदद करें।
प्रेरित करें – लोगों को यह विश्वास दिलाएँ कि हर समस्या का समाधान होता है, बशर्ते हम हार न मानें।
प्रोफेशनल मदद लें – अगर किसी को गंभीर मानसिक तनाव हो, तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से सलाह लेने में कोई हिचकिचाहट न करें।
जीवन अनमोल है। एक बुरा वक्त हमेशा नहीं रहता, लेकिन अगर हम हिम्मत हार जाएँ, तो खुद को और अपनों को
अपूर्णीय क्षति पहुँचा देते हैं। आत्महत्या कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक क्षणिक भावनात्मक आवेग का नतीजा है। आइए, हम एक-दूसरे का सहारा बनें, न कि उनका अकेलापन बढ़ाएँ।
ब्यूरो रिपोर्ट स्टार प्लस समाचार